राशन न खरीद सकने पर माँ के साथ बुरी तरह रोने लगे थे गोविंदा, पैसों की तंगी से था बुरा हाल

बॉलीवुड के सदाबहार अभिनेताओं बात जब भी आती है तो उनमें अभिनेता गोविंदा का नाम भी सबसे ऊपर आता है। चाहे अभिनय की बात हो, डांस की बात हो या फिर कॉमिक टाइमिंग की गोविंदा सभी में बेहतरीन माने जाते हैं। सन 80 से लेकर के 90 के दशक में अभिनेता गोविंदा ने कई हिट फिल्मों में काम किया और यह काफी लोकप्रिय हुए । गोविंदा को इस दौरान काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई उनका स्टारडम नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा था।

लेकिन एक समय ऐसा भी था जब गोविंदा के पास राशन खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे और वह अपने उधार भी चुकता नहीं पता कर पा रहे थे। बता दें कि एक इंटरव्यू के दौरान गोविंदा ने यह बताया था कि वह विरार चॉल की गलियों से ताल्लुक रखते थे और वहां से बाहर निकल कर के बॉलीवुड के स्टार बने हैं। इस दौरान गोविंदा ने बताया था कि वह जब छोटे थे तो उनके परिवार में आर्थिक तंगी का दौर था।

गोविंदा बताते हैं कि सामान लेने के लिए दुकानदारों ने घंटों तक दुकान में खड़ा रखता था ।एक बार गोविंदा ने दुकान जाने से इंकार कर दिया था तब उनकी माँ रोने लगी थी और माँ के साथ गोविंदा भी रोने लग गए थे। दोस्तों आप को बता दें कि गोविंदा के पिता भी 1950 के दशक की मशहूर अभिनेता रह चुके थे और इनकी मां निर्मला देवी एक प्रसिद्ध गायिका एवं अभिनेत्री थी। लेकिन इसके बावजूद इनके परिवार को काफी सारी आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ा ।

गोविंदा के पिता रक फ़िल्म बना रहे थे जो कि सफल नहीं हुई थी और इसका खामियाजा उनके पूरे परिवार को उठाना पड़ा था । इनका पूरा बचपन पैसों की तंगी में बीता। गोविंदा के परिवार वालों को उनका बंगला भी बेचना पड़ गया था और इनका पूरे परिवार विरार की 1 चॉल में रहने लग गए थे । इसी चॉल में गोविंदा का जन्म हुआ और यही वह बड़े हुए। यहां से निकल कर के गोविंदा एक दिन बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए । गोविंदा के माता-पिता दोनों ही बॉलीवुड इंडस्ट्री से ताल्लुक रखते थे लेकिन फिर भी अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए गोविंदा को काफी संघर्ष करना पड़ा था।

गोविंदा इंटरव्यू के दौरान यह भी बताया कि कई सालों तक निर्देशक एवं फिल्म प्रड्यूसर ने धक्के मार कर बाहर निकाल दिया करते थे। एक समय ऐसा भी था जब उनके पास खाने के पैसे नहीं होते थे और उस दौरान एक बंगाली भाई थेजो कि गोविंदा को बिना पैसे लिए ही खाना खिला देते थे। गोविंदा बताते हैं कि इस दौरान इन्हें अच्छे लोग भी मिले इनके संघर्ष के दिनों में डांस मास्टर एवं फाइट मास्टर इनसे फीस नहीं लेते थे और संघर्ष करते-करते गोविंदा उस मुकाम पर पहुंच गए जहां यह आज हैं।

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