उदयपुर. आमतौर पर मांगलिक और शुभ कार्यों में किन्नरों (Transgender) को खुशी में नाचते गाते और बधाई मांगते हुए देखा गया है. लेकिन उदयपुर में किन्नर समाज ने एक शादी में धर्म बहन के घर मायरा (Mayra) भरा. इसकी चर्चा जोरों पर है. यह शादी उदयपुर के ओगणा में हुई. इस मायरे में किन्नरों ने, नगदी, कपड़े, सोने और चांदी के जेवर भेंट किये. किन्नरों द्वारा भरे गए मायरे को देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
किन्नरों ने यह मायरा अपनी धर्म बहन कैलाशी देवी के पुत्र विष्णु के विवाह में भरा है. इस मायरे में किन्नर परिवार की मुखिया ललिता कंवर पूरे कुनबे के साथ लोग ढोल नगाड़ों की थाप पर नाचते हुए विवाह स्थल पर पहुंची. उन्होंने अपनी धर्म बहिन कैलाशी देवी को मायरा पहनाया. कैलाशी देवी के पीहर पक्ष से भी लोग मायरा लेकर आए थे.
यूं बना था पारिवारिक रिश्ता
बताया जाता है कि ललिता कंवर कुछ वर्षों पूर्व ओगणा में अपने परिवार के साथ रहने आई थी. किन्नर परिवार की मुखिया ललिता कंवर को उस दौरान कोई भी अपना कमरा किराए पर नहीं दे रहा था. उस दौरान कैलाशी देवी ने उन्हें अपने घर में रहने की जगह दी थी. कैलाशी देवी के घर में किराए पर रहने के चलते इनमें पारिवारिक रिश्ता बन गया.
11000 रुपये की नकदी समेत लाये सोने चांदी के जेवर
अब कैलाशी देवी के पुत्र का विवाह हुआ तो किन्नर परिवार की मुखिया ललिता कंवर अपने पूरे कुनबे के साथ मायरा लेकर पहुंची. मायरे में 10 तोले के चांदी के पायजेब, ढाई तोले सोने के कान के झुमके, पौन तोले सोने की अंगूठी, 11000 रुपये की नकदी के साथ दूल्हे और सभी परिवारजनों के लिए कपड़े लेकर आए.
शादियों में मायरे का अपना एक अलग महत्व है
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में शादियों में मायरे का अपना एक अलग महत्व है. इसे दूल्हे या दुल्हन के ननिहाल वाले लेकर आते हैं. आजकल मायरे को लेकर कई तरह रोचक किस्से सामने आ रहे हैं. मायरे के इस कार्यक्रम को सेलिब्रेट करने के लिये लोग भारी भरकम खर्चा कर रहे हैं. राजस्थान में नागौर जिले के मायरे काफी प्रसिद्ध हैं.