कम न हो जाए आंखों की रोशनी, अपनी आंखों का ऐसे रखें ध्यान

कम न हो जाए आंखों की रोशनी, अपनी आंखों का ऐसे रखें ध्यान

आज की जीवनशैली में तरह-तरह की स्वास्थ्य समस्याएं सामने आ रही हैं। आज खासकर टीवी अधिक देखने, कंप्यूटर पर अधिक देर काम करने और मोबाइल के साथ अधिक समय बिताने से आंखों की रोशनी कम हो रही है। आप अपनी आंखों का ध्यान कैसे रखें, जानकारी दे रही हैं निधि गोयल क्यों होती है कम आंखों की रोशनी अगर आपकी आदत कम रोशनी में पढ़ने की है, तो अपनी इस आदत पर विराम लगाएं, क्योंकि कम रोशनी में या लेटकर पढ़ने की आदत आपकी आंखों की सेहत के लिए नुकसानदेह होती है। कम रोशनी में पढ़ने की वजह से आंखों की पुतलियां फैल जाती हैं। इसकी वजह से आंखों के फोकस में नजदीक और दूर की चीजों में फर्क कम होने लगता है, जिसका प्रभाव आपकी आंखों की रोशनी पर पड़ता है। नेत्र रोग विशेषज्ञों की मानें तो इलेक्ट्रॉनिक चीजों मसलन कंप्यूटर, टैबलेट्स और लैपटॉप के स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी से आंखें खराब होने के साथ-साथ मोतियाबिंद जैसी बीमारी भी हो सकती है। इसकी वजह से आप अनिद्रा जैसी समस्या का शिकार हो सकते हैं, जिसका सीधा प्रभाव आपकी आंखों की सेहत पर पड़ेगा। जब आप मोबाइल और स्मार्ट फोन का प्रयोग करते हैं, तो आपकी आंखें सीधे उसके संपर्क में रहती हैं। आंखों की कोई मूवमेंट नहीं होती है। इससे लंबे समय तक आंखें एक ही पॉइंट पर फोकस रहती हैं। मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से आंखों की रोशनी कम होने का खतरा रहता है। इसकी वजह से आप कलर ब्लाइंडनेस का शिकार हो सकते हैं। बहुत देर तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने की वजह से आंखों की सेहत पर बुरा असर पड़ता है। मोबाइल फोन की स्क्रीन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणें आंखों के रेटिना और कॉर्निया पर बहुत बुरा असर डालती हैं, जिससे उसकी ताकत कम होने लगती है।

कम न हो जाए आंखों की रोशनी, अपनी आंखों का ऐसे रखें ध्यान

इन्वेस्टिगेटिव ऑफ्थैल्मोलॉजी एंड विजुअल साइंस में साल 2007 में प्रकाशित हुए एक शोध से यह साबित हुआ था कि कम दायरे में देखने की वजह से भी आंखों की रोशनी कम होती है। कहने का मतलब यह है कि जब आप एक बिंदु पर अधिक देर तक ध्यान केंद्रित रखते हैं और किसी अन्य वस्तु को नहीं देखते, तो भी आपकी आंखों की रोशनी कम होती है। बड़ी उम्र के युवाओं में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। बदलती हुई दिनचर्या में स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य समस्याओं के साथ-साथ आंखों की रोशनी कम होने की समस्या भी काफी बढ़ी है। आज अगर आप अपने आसपास देखें, तो पाएंगे कि छोटे-छोटे बच्चे भी चश्मा लगाये हुए नजर आएंगे। आंखों से जुड़ी समस्या का कारण खान-पान के साथ आपके द्वारा की गयी लापरवाही होती है। थोड़ी सावधानी बरत कर आप अपनी आंखों को स्वस्थ रखने के साथ उसकी रोशनी भी बढ़ा सकते हैं। आंखों पर पड़ता है असर नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अंशुमन वैश का कहना है कि आपके रहन-सहन और खान-पान का सीधा असर आपकी आंखों पर पड़ता है। बदलती दिनचर्या में मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे गैजेट्स का ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से आंखों की रोशनी कम होने लगी है। इतना ही नहीं, इसकी वजह से रूखी आंखों की समस्या से भी गुजरना पड़ता है। आजकल छोटे-छोटे बच्चों को भी आंखों की समस्या से गुजरना पड़ता है। इसका कारण हेल्दी खान-पान के अभाव के साथ छोटे बच्चों का बहुत ज्यादा मोबाइल और टीवी देखना है। अगर आपका बच्चा अपनी पलकों को बहुत ज्यादा झपकाता है या आंखों को हर समय रगड़ता रहता है और उसके स्कूल से शिकायत आती है कि वो बोर्ड से गलत उतारता है, तो इसका मतलब यह है कि उसकी आंखें कमजोर हो रही हैं। अपनी और अपने बच्चे की आंखों का साल में दो बार चेकअप करवाएं। इसके अलावा अपने खाने में हरी पत्तेदार सब्जियों का इस्तेमाल करके आप ना केवल अपनी आंखों को दुरुस्त रख सकते हैं, बल्कि इनकी रोशनी भी बढ़ा सकते हैं।

कम न हो जाए आंखों की रोशनी, अपनी आंखों का ऐसे रखें ध्यान

अपने आहार में इन्हें करें शामिल आपके खान-पान का आपकी आंखों की सेहत पर गहरा असर पड़ता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी आंखों की रोशनी ठीक रहे, तो अपने आहार में आंवला, बादाम का दूध, गाजर, हरी पत्तेदार सब्जियों और सूखे मेवों को शामिल करें। अपने आहार में नियमित तौर पर एक आंवले का इस्तेमाल करने से आंखों की रोशनी दुरुस्त रहती है। आप चाहें तो कच्चे आंवले का सेवन सलाद के तौर पर करें या फिर इसका मुरब्बा खाएं। आंवला हर रूप में आंखों के लिए लाभदायक है। हफ्ते में दो से तीन बार बादाम के दूध का इस्तेमाल करने से आंखों की सेहत दुरुस्त रहती है। बादाम में विटामिन ई होता है, जो आंखों को किसी भी प्रकार की बीमारी से लड़ने में मदद करता है। गाजर आंखों के लिए बहुत फायदेमंद होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर आप प्रतिदिन एक गिलास गाजर का जूस पीते हैं, तो आपकी आंखों पर चढ़ा चश्मा भी उतर सकता है। इसके अलावा नियमित तौर पर हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना भी लाभदायक होता है। हरी सब्जियों में मौजूद आयरन आंखों के लिए बहुत जरूरी है। अंडे को भी अपने आहार का हिस्सा बनाएं। इसमें मौजूद अमीनो एसिड, प्रोटीन, सल्फर, ल्युटीन, सिस्टीन और विटामिन बी2 आंखों की सेहत के लिए काफी फायदेमंद साबित होते हैं। मछली, पालक और मौसमी फलों को भी खाने में शामिल करें, क्योंकि ये पोषण से भरपूर होते हैं और कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं।

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इन बातों का रखें ध्यान अगर आपको अपनी आंखों में किसी भी किस्म की परेशानी महसूस हो, तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से अपनी आंखों की जांच कराएं। अगर आपको चश्मा दिया जाता है, तो चश्मे को निर्देशानुसार पहनें और हर छह माह में अपनी आंखों की रोशनी की जांच करवाएं। अगर आप चाहते हैं कि आपकी आंखें स्वस्थ रहें, तो अपनी पलकों को झपकाते रहें। ऐसा करने से आंखें तरोताजा और तनाव मुक्त रहती हैं। आमतौर पर जब आप कंम्यूटर और मोबाइल पर काम करते हैं, तो अपनी पलकें कम झपकाते हैं। इसकी वजह से आंखों पर बुरा असर पड़ता है। इससे बचने के लिए कंप्यूटर पर काम करने के दौरान एक मिनट में कम से कम तीन से चार बार पलकें जरूर झपकाएं। नियमित तौर पर आंखों का व्यायाम करके भी आप अपनी आंखों की रोशनी को बेहतर कर सकते हैं। इसके लिए अपनी दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें, जब हथेलियां गर्म हो जाएं, तो उन्हें हल्के हाथों से अपनी आंखों पर रख लें। ऐसा करने से काफी हद तक आंखों का तनाव दूर हो जाता है। इसके अलावा एक अन्य व्यायाम भी करें। इसके लिए दीवार पर सामने की ओर लगातार देखें। जब आपकी आंखों में पानी भर जाए, तो हल्के से अपनी हथेलियों से अपनी आंखों को ढंक लें। यह व्यायाम तीन से चार बार करें। ’जब भी बाहर से आएं, तो अपनी आंखों पर पानी के छींटे मारें। इससे आंखों में डीहाइड्रेशन नहीं होगा और आपकी आंखें स्वस्थ रहेंगी।

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ना करें बच्चों की इन आदतों को नजरअंदाज ’ अगर आपका बच्चा अकसर सिर में दर्द की शिकायत करे, तो इसे नजरअंदाज न करें। तुरंत ही किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से उसकी आंखों का चेकअप कराएं, क्योंकि सिर में नियमित तौर पर दर्द होना आंखें कमजोर होने का पहला लक्षण है। ’ अगर आपका बच्चा दिनभर आंखें मलता है, तो यह कमजोर नजर की निशानी हो सकती है। इसे पूरी गंभीरता से लें। ’ बच्चे को उजाले से परेशानी हो या तेज रोशनी देखकर वो अपनी पलकों को तेजी से झपकाये, तो सचेत हो जाएं। इन सारे लक्षणों का कारण विटामिन ए की कमी है। उसकी आंखों की रोशनी कम हो और उसे चश्मा लग जाये, इससे पहले उसके आहार में विटामिन ए युक्त चीजों को ज्यादा मात्रा में शामिल करें। ’ जब बच्चा एक आंख बंद करके टीवी देखे या खेले, तो समझ जाएं कि उसे देखने में दिक्कत आ रही है। यह कमजोर नजर की निशानी है। इसमें लापरवाही न बरतें। ’ थोड़ी-थोड़ी देर में सिर घुमाते रहना भी आंखों के कमजोर होने की निशानी है। अगर आपका बच्चा टीवी देखते हुए बीच-बीच में अपनी आंखें बंद कर लेता है, तो तुरंत नेत्र रोग विशेषज्ञ को दिखाएं, ताकि समस्या बढ़ न पाएं और तकलीफ ठीक हो जाए।

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